इन्दौर: आज ब्रिलियंट कान्वेंशन सेंटर में संभागीय प्रशासन के तत्वावधान में अंगदान के संबंध में विशाल कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के अध्यक्ष एवं संभागायुक्त श्री संजय दुबे ने कहा कि देश में हर वर्ष दो लाख किडनी की आवश्यकता है, मगर हम इसका 25 प्रतिशत भी प्रतिपूर्ति नहीं कर पाते। अंगदान के क्षेत्र में सब से अच्छा काम स्पेन देश में चल रहा है। जहाँ पर दस लाख लोगों में 43 अंगदाता है। मगर भारत में 10 लाख में से मात्र 1 व्यक्ति अंगदाता है। हमें जन शिक्षा और प्रचार-प्रसार से इस प्रतिशत को बढ़ाना है।
अंगदान से जीवन पुनर्जीवित हो जाता है। अंगदान से अंग लेने वाले व्यक्ति को नया जीवन मिलता है और वह मरने से बच सकता है। किसी के अंगदान करने से एक से अधिक लोगों और परिवारों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। श्री दुबे ने इस अवसर पर उपस्थित चिकित्सकों, विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि संभागीय प्रशासन द्वारा अंगदान दान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। मुंबई और दिल्ली के बाद इंदौर का देश में तीसरा स्थान है, जहाँ पर सर्वाधिक अंगदान होता है। पिछले दो साल में 26 लोगों ने अंगदान किया है, जिससे 80 से अधिक लोगों की जान बची है।
आगामी नवम्बर माह से एमवाय अस्पताल में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू होगी। शरीर दान में मिलने पर यह विद्यार्थियों के अध्ययन में भी काम आती है। इंदौर से जम्मू कश्मीर सहित सात राज्यों में अध्ययन हेतु दान में प्राप्त मृत शरीर भेजे जा रहे हैं, जो कि एक उल्लेखनीय कार्य है। अंगदान में पारदर्शिता उन्होंने कहा कि अंगदान के क्षेत्र में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जा रही है। अंग देने वाले और लेने वाले का ऑनलाइन पंजीयन होता है और पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर अंगदान किया जाता है। इसमें पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है। अंगदाता परिवार की सहमति के बाद मृत व्यक्ति का 24 घंटे में पोस्टमार्टम किया जाता है। उस समय सरकारी चिकित्सक भी मौजूद रहते हैं। अंगदाता परिवार के दो व्यक्तियों को आजीवन स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाता है, अर्थात् उनके परिवार के दो सदस्यों का आजीवन मुफ्त इलाज किया जाता है।
इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री अजय कुमार शर्मा ने कहा कि संभागीय प्रशासन द्वारा अंगदान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। पुलिस प्रशासन द्वारा इस काम में हर संभव मदद दी जा रही है। जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी किसी भी कानूनी बाधा का सकारात्मक समाधान कर रहे हैं। पिछले दो वर्षों में 26 बार ग्रीन कॉरिडोर बना है, जिसमें इन्दौर की ट्राफिक पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रेशमा पारे ने कहा कि हमारा देश एक विकासशील देश है। यहाँ पर गरीबी और निरक्षरता बहुत अधिक है। यहाँ पर मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर सामान्य से अधिक है। मातृ मृत्यु दर कम करने के लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है। इंदौर संभागीय प्रशासन द्वारा अंगदान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया गया है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रचना दुबे ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जिसे कैंसर, डायबिटिज जैसी घातक बीमारी नहीं है वह अंगदान कर सकता है। अभी पिछले माह केरला में एक तीन वर्षीय बच्ची का अंगदान हुआ। अंगदान से किडनी, लीवर, त्वचा, छोटी आँत पुन: काम में ले ली जाती है। भारत में किडनी की सर्वाधिक माँग हैं। सभी जागरूक व्यक्तियों के सहयोग से इस माँग को पूरा किया जा सकता है। गर्भवती माताओं में भी किडनी फेल होने की समस्या आ जाती है। उन्हें भी किडनी का प्रत्यारोपण किया जा रहा है। इस सम्मेलन को डॉ. माला अरोरा, डॉ. एस. शांता कुमारी, डॉ. प्रदीप सलागीया, डॉ. नीरज जैन, डॉ. आलोक मौर्य आदि ने भी सम्बोधित किया।
अंगदान से जीवन पुनर्जीवित हो जाता है। अंगदान से अंग लेने वाले व्यक्ति को नया जीवन मिलता है और वह मरने से बच सकता है। किसी के अंगदान करने से एक से अधिक लोगों और परिवारों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। श्री दुबे ने इस अवसर पर उपस्थित चिकित्सकों, विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि संभागीय प्रशासन द्वारा अंगदान दान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। मुंबई और दिल्ली के बाद इंदौर का देश में तीसरा स्थान है, जहाँ पर सर्वाधिक अंगदान होता है। पिछले दो साल में 26 लोगों ने अंगदान किया है, जिससे 80 से अधिक लोगों की जान बची है।
आगामी नवम्बर माह से एमवाय अस्पताल में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू होगी। शरीर दान में मिलने पर यह विद्यार्थियों के अध्ययन में भी काम आती है। इंदौर से जम्मू कश्मीर सहित सात राज्यों में अध्ययन हेतु दान में प्राप्त मृत शरीर भेजे जा रहे हैं, जो कि एक उल्लेखनीय कार्य है। अंगदान में पारदर्शिता उन्होंने कहा कि अंगदान के क्षेत्र में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जा रही है। अंग देने वाले और लेने वाले का ऑनलाइन पंजीयन होता है और पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर अंगदान किया जाता है। इसमें पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है। अंगदाता परिवार की सहमति के बाद मृत व्यक्ति का 24 घंटे में पोस्टमार्टम किया जाता है। उस समय सरकारी चिकित्सक भी मौजूद रहते हैं। अंगदाता परिवार के दो व्यक्तियों को आजीवन स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाता है, अर्थात् उनके परिवार के दो सदस्यों का आजीवन मुफ्त इलाज किया जाता है।
इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री अजय कुमार शर्मा ने कहा कि संभागीय प्रशासन द्वारा अंगदान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। पुलिस प्रशासन द्वारा इस काम में हर संभव मदद दी जा रही है। जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी किसी भी कानूनी बाधा का सकारात्मक समाधान कर रहे हैं। पिछले दो वर्षों में 26 बार ग्रीन कॉरिडोर बना है, जिसमें इन्दौर की ट्राफिक पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रेशमा पारे ने कहा कि हमारा देश एक विकासशील देश है। यहाँ पर गरीबी और निरक्षरता बहुत अधिक है। यहाँ पर मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर सामान्य से अधिक है। मातृ मृत्यु दर कम करने के लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है। इंदौर संभागीय प्रशासन द्वारा अंगदान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया गया है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रचना दुबे ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जिसे कैंसर, डायबिटिज जैसी घातक बीमारी नहीं है वह अंगदान कर सकता है। अभी पिछले माह केरला में एक तीन वर्षीय बच्ची का अंगदान हुआ। अंगदान से किडनी, लीवर, त्वचा, छोटी आँत पुन: काम में ले ली जाती है। भारत में किडनी की सर्वाधिक माँग हैं। सभी जागरूक व्यक्तियों के सहयोग से इस माँग को पूरा किया जा सकता है। गर्भवती माताओं में भी किडनी फेल होने की समस्या आ जाती है। उन्हें भी किडनी का प्रत्यारोपण किया जा रहा है। इस सम्मेलन को डॉ. माला अरोरा, डॉ. एस. शांता कुमारी, डॉ. प्रदीप सलागीया, डॉ. नीरज जैन, डॉ. आलोक मौर्य आदि ने भी सम्बोधित किया।
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