उज्जैन: उज्जैन में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश अब रुक गई है, लेकिन अब भी कई इलाकों में पानी भरा हुआ है। शिप्रा नदी अब भी ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही है।
हालत यह है कि पानी महाकाल तक जा पहुंचा है। संभवत: यह पहली बार है कि महाकाल के गर्भगृह तक पानी जा पहुंचा और शिवलिंग आधे से अधिक डूब गया। सुबह की भस्म आरती भी पानी में खड़े होकर ही की गई।
मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि महाकाल के गर्भगृह के सामानांतर बने कुंड में से पानी रिसकर गर्भगृह में पहुंच गया और शिवलिंग करीब एक फुट पानी में डूब गया। अत्यधिक बारिश के कारण यह हालात बने।
इसके साथ ही मंदिर परिसर में भी कई जगहों पर पानी घुस गया। महाकालेश्वर कुंड में भी पानी ऊपर तक बह रहा है। बारिश से उज्जैन में श्रावण मास की तैयारियों को भी झटका लगा है।
माना जाता है कि जब बारिश न हो तो शिवलिंग को पानी में डुबोने से बारिश होती है। मध्य प्रदेश के मालवा और निमाड़ में बारिश में देरी होने पर इस तरह के अनुष्ठान अक्सर किए जाते हैं। इस बार बारिश के दौरान ही प्रकृति ने शिवलिंग को पानी में डुबो दिया।
डूबे महाकाल की भस्म आरती
महाकाल के वरिष्ठ पुजारी पंडित रमन त्रिवेदी ने बताया कि महाकाल की भस्म आरती हमेशा से ब्रह्ममुहूर्त में होती है। मंगलवार की सुबह भी जब पुजारी भस्म आरती के लिए मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे तो महाकाल पानी में डूबे हुए थे। यहां कि परपंरा और नियमों के अनुसार, आरती का समय भंग नहीं किया जा सकता इसलिए समय पर आरती करने का फैसला लिया गया। पुजारियों ने पानी में डूबे महाकाल की भस्म आरती की। इसके बाद गर्भगृह में मोटर लगाकर पानी निकाला गया। रमन के मुताबिक ऐसा अद्भुत दृश्य सालों बाद दिखाई दिया।
मंदसौर में पशुपतिनाथ का भी किया अभिषेक
मालवांचल में इस बार हुई जबरदस्त बारिश से भगवान भी नहीं बच सके। उज्जैन में शिप्रा के किनारे बने कई मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे। ऐसा ही कुछ नजारा मंदसौर में भी नजर आया। यहां तेज बारिश के चलते पशुपतिनाथ की प्रतिमा भी पानी में डूब गई। उज्जैन के महाकाल की तरह मंदसौर के पशुपतिनाथ में भी बारिश की वजह से पानी भर गया। मूर्ति पानी में डूब गई।
मन्दसौर पशुपतिनाथ मंदिर जलमग्न
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