अब बैंको में घूमते हैं नकली बैंक कर्मी अधिकारियों की कार्यशैली संदिग्ध*
उत्तर प्रदेश : हाल ही में प्रतिष्ठित बैंको के अंदर हुई ठगी के अनोखे कारनामे सामने आये हैं। बड़ी बात तो यह है कि यह तरीके एकदम नए और बेहद हाईटेक हैं। अब तक सामने आये मामलों में बैंक कर्मियों और अधिकारियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में रही है। कुछ दिन पहले मेरठ की एक प्रतिष्ठित बैंक के एटीएम से एक फौजी ने कुछ पैसे निकाले। वह उस समय चौक गया जब पांच सौ की नोटों के बीच एक सौ की नोट निकली।
जब वह शिकायत करने पहुचा तो शाखा प्रबंधक उपभोक्ता आज कल बहुत चालाक होकर शिकायते लाते हैं कहकर उल्टा उसे दोषी करार देने पर तुल गए। बाद को मामला मीडिया में न पहुंचे इस डर से शाखा प्रबंधक ने अपनी गलती मानते हुए मामले को रफा दफा कर दिया। मामला शांत हो जाने के कारण जहां का तहाँ दब गया लेकिन यह ठगी विद्या की एक नई नीव डाल चुका था।
उक्त प्रकरण को बमुश्किल दो माह ही बीते होंगे कि मेरठ की ही एक बैंक में ठग ने आर्मी के एक अधिकारी से बैंक कर्मी बनकर एक लाख अठहत्तर हजार बीस रुपये में से तिरपन हजार छोड़कर शेष रकम की ठगी कर ली। दरअसल नेपाल में आई आपदा में मदद पहुचाने के लिए पांच सौ दस आर्मी बेस वर्कशाप से राजपाल नाम का एक अधिकारी एक लाख अठहत्तर हजार बीस रुपये की भारी भरकम रकम लेकर बैंक जमा करने पहुंचा। यह रकम जवानों और अधिकारियों के सहयोग से एकत्र की गयी थी। एस बी आई की कैंट शाखा के चीफ मैनेजर एन के कोहली के पास जब यह रकम लेकर सेना अधिकारी सूबेदार मेजर राजपाल पहुचे तो उन्होंने उसे कैशियर के पास जमा करने की बात कही।
इसके बाद वह एक महिला बैंक कर्मी के साथ कैशियर के पास पहुचे तो कैशियर ने नोटों का विवरण भर कर दूसरे काउंटर पर जमा करने की नसीहत दी। इतनी भारी रकम होने के बावजूद बैंक के अधिकारियों ने नियमों के पालन और व्यस्तता का प्रदर्शन तब तक जारी रहा जब तक वह रकम ठग के हाँथ नहीं लग गयी। सूबेदार मेजर से एक ठग ने बैंक कर्मचारी बनकर नोटों की गिनती में मदद शुरू की और फिर उनकी संख्या भरनी है यह कहकर रफूचक्कर हो गया। जब वह ठग रकम लेकर फरार हुआ उस समय सेना अधिकारी के पास महज तिरपन हजार की रकम शेष थी जो वह गईं रहे थे।
अब बैंक के आला अधिकारी जांच में मदद की बात कह रहे हैं इधर मामले में सीसीटीवी फुटेज का सहारा लेने के बाद भी पुलिस दो दिन बीत जाने के बाद भी खाली हाँथ घूम रही है। सबसे प्रमुख तथ्य तो यह है कि इतनी भारी रकम होने के बावजूद बैंक में सेना अधिकारी राजपाल को एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर बार बार क्यों भेजा गया। सवाल यह भी उठता है जब अधिकारी शाखा के चीफ के पास पहुचे तो उनके पास ऐसी कौन सी व्यस्तता थी जो इतनी बड़ी रकम होने के बावजूद उन्होंने सेना के अधिकारी को काउंटर पर भेज दिया। वहीँ कैशियर ने भी उन्हें सहयोग नहीं किया और उन्हें एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर भेजा जिसके कारण रकम का एक बड़ा हिस्सा ठग के हाँथ लगा।
रामजी मिश्र 'मित्र' +ramji mishra
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