नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से संबंधित संविधान (जम्मू कश्मीर में लागू) आदेश 2019 जारी किया जो राज्य में भारत का संविधान लागू करने का प्रावधान करता है। राष्ट्रपति ने संविधान (जम्मू-कश्मीर में लागू) आदेश 2019 जारी किया जो तत्काल प्रभाव से लागू होगा। यह जम्मू कश्मीर में लागू आदेश 1954 का स्थान लेगा।
इसमें कहा गया है कि संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य में लागू होंगे। सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 367 में उपबंध 4 जोड़ा है जिसमें चार बदलाव किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि संविधान या इसके उपबंधों के निर्देशों को, उक्त राज्य के संबंध में संविधान और उसके उपबंधों को लागू करने का निर्देश माना जाएगा।
जिस व्यक्ति को राज्य की विधानसभा की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा जम्मू एवं कश्मीर के सदर ए रियासत, जो स्थानिक रूप से पदासीन राज्य की मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर रहे हैं, के रूप में स्थानिक रूप से मान्यता दी गई है, उनके लिए निर्देशों को जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल के लिए निर्देश माना जाएगा । उक्त राज्य की सरकार के निर्देशों को, उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर रहे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के लिए निर्देशों को शामिल करता हुआ माना जाएगा।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 राज्यसभा में 125 बनाम 61 वोट से पास
राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 पास हो गया है। इसको लेकर हुई वोटिंग में इसके पक्ष में 125 और 61 वोट विपक्ष में पड़े।इससे पहले राज्यसभा से जम्मू कश्मीर आरक्षण दूसरा संशोधन बिल ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस संशोधन बिल के पास हो जाने के बाद अमित शाह की ओर से लाए गए संकल्प पर सदन का मत लिया गया।
जम्मू कश्मीर से हटी धारा 370 तो सड़कों पर बंटी मिठाईयां
गृहमंत्री अमित शाह ने धारा 370 को हटाने और जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का संकल्प राज्यसभा में पेश किया। इसे राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी है। यानी मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए हटा दिया है। अब जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश हो गया है जिसकी विधानसभा होगी। वहीं लद्दाख भी बिना विधानसभा का केंद्र शासित प्रदेश होगा। ऐसे में कश्मीरी पंडितों के बीच खुशी की लहर है।
ये फैसला आते ही कश्मीरी पंडितों के अलावा देशभर में हर जगह खुशी की लहर है। लोग एक दूसरे को मिठाईयां खिला रहे हैं। खुशियां मनाते लोगों की कई तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर सामने आई हैं। मुंबई की सड़कों पर भी लोगों को मिठाईयां बांटते देखा गया। इसे एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है और इस फैसले के आते ही लोगों के साथ साथ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं।
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। कार्यकर्ताओं को मुंबई की बसों को रोक कर मिठाई बांटते देखा गया। साथ ही कई लोगों ने सड़कों के किनारे पटाखे भी जलाकर जश्न मनाया। कई लोगों ने ढोल बजाकर और झूमकर खुशियां मनाईं। लोग थिरकते दिखाई पड़े।
कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से बौखलाए पाकिस्तान की धमकी
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटते ही पाकिस्तान में भी हलचल तेज हो गई है। भारत सरकार के इस बड़े कदम से बौखलाए पाकिस्तान ने सभी संभावित विकल्पों के इस्तेमाल की धमकी दी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनकर अवैध कदम उठाया है। पाकिस्तान ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वह सभी संभावित विकल्पों का इस्तेमाल करेगा।
भारत ने बहुत खतरनाक खेल खेला- पाकिस्तान के विदेश मंत्रीअनुच्छेद 370 पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कश्मीर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि भी की है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर भारत ने बहुत खतरनाक खेल खेला है। इससे समूचे इलाके पर घातक असर हो सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि पाक पीएम इमरान खान पूरे मसले को समाधान की ओर ले जाना चाहते थे लेकिन भारत ने अपने फैसले से मामले को और जटिल बना दिया है। कश्मीरियों को पहले से ज्यादा कैद कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि सभी मुसलमान मिलकर कश्मीरियों की सलामती की दुआ करें। पाकिस्तान पूरी तरह के कश्मीर के लोगों के साथ है।
सदन में कांग्रेस जोरदार हंगामा कर रही है। पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया है। इतना ही नहीं महबूबा ने धमकी तक दे डाली। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि आज का दिन देश के लोकतंत्र में काला दिन है। धारा 370 को रद्द करने का एकतरफा फैसला गैरकानूनी और असंवैधानिक है। इसके बाद दूसरे ट्वीट में महबूबा ने कहा कि 370 को रद्द करने के परिणाम भयावह होंगे। भारत सरकार के इरादे स्पष्ट हैं। वे जम्मू-कश्मीर के लोगों को भयभीत और आतंकित करके इसे पाना चाहते हैं। भारत ने अपने वादों को नहीं निभाया है।
एक और ट्वीट में महबूबा ने लिखा कि हम जैसे लोग जिन्होंने संसद में विश्वास रखा, उस लोकतंत्र के मंदिर से हमें धोखा मिला है।
अनुच्छेद 370, 35ए के हटने के बाद सेना और वायुसेन हाई अलर्ट पर
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 के खत्म किए जाने के बाद भारतीय सेना और वायुसेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए सेना को अलर्ट पर रखा गया। वहीं जवानों को उत्तर प्रदेश, ओडिशा, असम और अन्य राज्यों से एयरलिफ्ट करके कश्मीर घाटी में भेजा जा रहा है।
दरअसल गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म करने की घोषणा की, जिसके बाद घाटी में किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए जवानों को एयरलिफ्ट करके घाटी में पहुंचाया जा रहा है। वहीं दूरी तरह सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का भी जैसलमेर दौरा रद्द कर दिया गया है और अब वह दिल्ली में ही रहेंगे।
जनरल रावत आर्मी स्काउट मास्टर्स कंपटीशन के पांचवे एडिशन में शिरकत करने के लिए जैसलमेर जाने वाले थे, लेकिन जम्मू कश्मीर में उठापटक के बीच उनके इस दौरे को खत्म कर दिया गया है। इस कार्यक्रम में भारतीय सेना के अलावा अरमेनिया, बेलारूस, चीन, कजाकिस्तान, रूस, उजबेकिस्तान और सूडान की सेनाएं भी शिरकत करने वाली थीं।
गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के निवासियों और छात्रों के लिए दिया आदेश
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखने को कहा है। ताकि किसी भी खतरे से निपटा जा सके। गृह मंत्रालय ने सभी केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों के डीजीपी और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को आदेश जारी कर सभी राज्यों में सुरक्षा बलों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश देकर तत्काल अलर्ट जारी करने को कहा है।
मंत्रालय ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दें। खासतौर पर देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद जम्मू-कश्मीर के छात्रों की सुरक्षा के लिए। राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को संबंधित वर्गों को विश्वास में लाना चाहिए। साथ ही किसी शांति भंग करने के खिलाफ जनता को जागरूक करने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाएं।
मंत्रालय ने आगे कहा है कि सोशल मीडिया पर हिंसा और सांप्रदायिक कलह वाले झूठे, असत्यापित समाचारों, अफवाहों और गलत संदेशों के प्रसार के खिलाफ सतर्कता बनाए रखने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उपयुक्त निर्देश जारी किए जाने चाहिए।
पुडुचेरी जैसा होगा नया जम्मू-कश्मीर, केंद्र शासित प्रदेश बनने से ऐसे चलेगा प्रशासन
जम्मू-कश्मीर के विशेषाधिकार खत्म करने और जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 के तहत अब यह एक राज्य न रहकर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया है- जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख। आइए समझते हैं कि इसका मतलब है क्या है, वहां की विधानसभा और सरकार पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
संविधान का जो अनुच्छेद 239ए केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में लागू है, वही अनुच्छेद अब नए जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में भी लागू होगा। नए केंद्र शासित प्रदेश का क्षेत्र वहां तक होगा जहां मौजूदा समय में जम्मू एवं कश्मीर का क्षेत्र आता है (लद्दाख इलाके को छोड़कर)। यहां की कानून एवं व्यवस्था केंद्र सरकार के हाथों में रहेगी। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वहां केंद्र को वित्तीय आपातकाल लगाने का भी अधिकार रहेगा।
जम्मू एवं कश्मीर के मौजूदा राज्यपाल की जगह अब वहां जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल की तैनाती होगी। इस फैसले के तहत संविधान के पहले भाग से राज्य सूची में शामिल जम्मू एवं कश्मीर को 15वें स्थान से हटा दिया गया है। उसकी जगह अब संविधान के पहले भाग में केंद्र शासित प्रदेशों के 8 वें स्थान पर जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की नई एंट्री की गई है।
नई जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में कुल 107 विधायक होंगे। इन 107 विधायकों में से 24 सीटें पाकिस्तान की कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) के विधायकों के लिए खाली रखी जाएंगी। मौजूदा विधानसभा में 111 सदस्यों का प्रावधान है, जिसमें 87 चुने जाते हैं, 2 मनोनीत होते हैं और 24 पाकिस्तानी कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) के लिए खाली छोड़ा जाता है। नए जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल को 2 महिला सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार होगा।
जब अगर उन्हें लगेगा कि विधानसभा में महिला सदस्यों के प्रतिनिधित्व का अभाव है। यही नहीं विधानसभा से जो भी विधेयक पास होगा, उसे मंजूरी देने, उसे अपने पास विचार के लिए रखने और राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजने का भी उपराज्यपाल के पास अधिकार होगा। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में मुख्यमंत्री विधानसभा की सदस्यों की कुल संख्या के 10 फीसदी से ज्यादा मंत्रियों की नियुक्ति नहीं कर सकेंगे।
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