मध्यप्रदेश। चुनाव से पहले शिवराज सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं । अब एक नया घोटाला सामने आया है जिसे करीब 3 हजार करोड़ का आंका जा रहा है । कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ई टेंउर स्कैम का आरोप सरकार पर लगा है । जानकारी के मुताबिक ऑनलाइन प्रणाली से छेड़छाड़ कर इस स्कैम को अंजाम दिया गया।
रिपोर्ट्स की माने तो घोटाला कई साल से चल रहा था लेकिन इस साल मई के महीने में इसका खुलासा हुआ। इसी साल मार्च महीने में जल निगम की तरफ से 3 कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने थे। इनके लिए बोली लगाई गई। हालांकि एमपी जल निगम को चेताया गया था कि ऑनलाइन दस्तावेजों में गड़बड़ी की जा रही है।
जिसके बाद एक बड़ी टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग निर्माण कंपनी ने भी इस मामले को लेकर शिकायत की थी। इस कंपनी से कुछ टेंडर काफी कम अंतर से निकल गए थे। उन्होंने इंटरनल असेसमेंट के बाद शिकायत की थी।
वहीं उस पोर्टल को चलाने वाले स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन से जल निगम के अधिकारी ने इसके बारे में पता लगाने के लिए मदद भी मांगी। जिसके बाद स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष रस्तोगी ने आंतरिक जांच भी बैठाई। जांच में सामने आया कि तीन कॉन्ट्रैक्ट्स से जुड़ी नीलामी प्रक्रिया में इस तरह बदलाव लाया गया था कि हैदराबाद की दो और मुंबई की एक कंपनी की बोली सबसे कम दिखाई जा सके।
ये तीनों कॉन्ट्रैक्ट राजगढ़ और सतना जिले में बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना से संबंधित थे, जिनकी कीमत 2,322 करोड़ रुपए थी।
जांच में यह भी सामने आया कि अंदर के ही कुछ लोगों की मदद से इन कंपनियों ने पहले ही दूसरी कंपनियों की बोलियां देख लीं। जिसके बाद उन्होंने उनसे कम बोली लगाकर टेंडर हासिल कर लिया।
वहीं रस्तोगी को उनकी ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद प्रिंसिपल सेक्रटरी साइंस ऐंड आईटी के अतिरिक्त चार्ज से हटा दिया गया और प्रमोद अग्रवाल को यह जगह सौंप दी गई। बता दें कि राज्य के चीफ सेक्रटरी बीपी सिंह के आदेश के बाद सभी 9 टेंडर्स की जांच इकनॉमिक ऑफेंस विंग को सौंप दी गई और एक अधिकारी का कहना है कि यह घोटाला करीब 3000 करोड़ रुपए का है। वहीं सरकारी सूत्रों का कहना है कि चुनाव के मद्देनजर इस मामले में नरमी बरती जा रही है।
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