उतर प्रदेश। खेती की जमीन वापस पाने के लिए वाराणसी के सैकड़ों किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से खत लिखकर भेजेंगे। इसका सिलसिला रविवार से शुरू हो गया। पहले ही दिन करीब 50 किसानों ने खून से खत लिखा। 8 अप्रैल तक खत लिखे जाने के बाद अगले दिन यानी 9 अप्रैल को सभी पत्र पीएम के संसदीय कार्यालय में सौंपे जाएंगे। किसान मेवा पटेल ने खत में लिखा है कि, 'खून से खत लिख रहा हूं, स्याही मत समझना!
दरअसल, वाराणसी में ट्रांसपॉर्ट नगर योजना के लिए वर्ष 2003 में बैरवन, मोहनसराय, कन्नाडांडी एवं मिल्कीचक गांव के 1192 किसानों की खेती की जमीन पर से उनका नाम काटकर वाराणसी विकास प्राधिकरण का नाम दर्ज कर दिया गया था।
इसके चलते किसान अपनी ही जमीन से जबरन बेदखल होने के साथ सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित हो गए। डेढ़ दशक बाद भी ट्रांसपॉर्ट नगर योजना पर काम शुरू नहीं हो सका है।
बिना सहमति जबरन जमीन लिए जाने के खिलाफ लंबे समय से आंदोलनरत किसान रविवार को उत्तर प्रदेश किसान खेत मजदूर कांग्रेस के बैनर तले बैरवन गांव में जुटे। संयोजक विनय शंकर राय की अध्यक्षता में हुई सभा में किसानों ने एक स्वर से कहा कि आज खून से खत लिख रहे हैं, कल अपनी जमीन को वैधानिक तरीके वापस लेने के लिए जान भी देना पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे। वाराणसी के सांसद पीएम मोदी से दर्जनों बार गुहार लगाने के बाद भी इस दिशा में कोई पहल ना होने के चलते खून से खत लिखने पर मजबूर होना पड़ा है। सभा के बाद 50 किसानों ने अपने खून से पीएम को पत्र लिखा।
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