भोपाल / नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच के तीसरे दिन ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच मामलों में प्रकरण दर्ज कर लिए हैं, साथ ही पांच सदिग्ध मौतों का ब्यौरा भी मांगा है। इन प्रकरणों में 160 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
सीबीआई ने पत्रकार अक्षय सिंह, नम्रता डामोर, विजय पटेल, राजेंद्र आर्य और दीपक वर्मा की मौतों का संबंधित जिलों उज्जैन, कांकेर, ग्वालियर, झाबुआ और इंदौर के पुलिस अधीक्षकों से ब्यौरा मांगा है।
सीबीआई की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि पीएमटी 2010 मामले में 21 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419 (प्रतिरूपन कर धोखाधड़ी), धोखाधड़ी (420), जालसाजी (467), धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी (468, 471) फर्जी दस्तावेज को असली की तरह इस्तेमाल करना (474) और आपराधिक षड्यंत्र (120 बी) के तहत मामला दर्ज किया गए है। वहीं प्री पीजी टेस्ट 2011 के मामले में आठ लोगों को आरोपी बनाया गया है।
इन आरोपियों के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सीबीआई के अनुसार, प्री मेडीकल टेस्ट (पीएमटी-2010) मामले में 21 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। आरोपियों के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 474 और 120बी के तहत प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
वहीं दूसरा प्रकरण प्री पीजी टेस्ट-2011 मामले में दर्ज किया गया, जिसमें आठ लोगों को आरोपी बनाया गया है। इन आरोपियों के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
प्रीपीजी परीक्षा के आरोपियों पर मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम का प्रकरण भी दर्ज किया गया है। यह दोनों प्रकरण सीबीआई जांच के प्रमुख संयुक्त निदेशक आर.पी. अग्रवाल के निर्देश पर दिल्ली कार्यालय ने दर्ज किए हैं।
इसी तरह सीबीआई ने तीसरी प्राथमिकी पीएमटी प्रवेश परीक्षा (2009 और 2010) मामले में दर्ज की है। इस मामले में कुल 28 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा वन रक्षक परीक्षा-2013 में 100 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है।
पांचवी प्राथमिकी में निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में पीएमटी-2011 सीट आवंटन मामले में दर्ज की गई है, जिसमें तीन लोगों को आरोपी बनाया गया है।
इस बीच सीबीआई के अधिकारियों ने जांच के संबंध में मुहैया कराए जा रहे अस्थायी दफ्तर का राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बुधवार को मुआयना किया। अब तक इस भवन में स्थानीय गुप्तचर शाखा का कार्यालय था।
यह टीम अलग भवन की मांग कर रही थी। इसके लिए दल के अधिकारियों ने मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव एंथनी डिसा और पुलिस महानिरीक्षक सुरेंद्र सिंह से भी मुलाकात की थी।
बताया जा रहा है कि उनकी टीम में 40 अफसर हैं। सोमवार को एसटीएफ के एआईजी कमल मौर्य और राजेश सिंह चंदेल ने सीबीआई दफ्तर में घोटाले से जुड़े कुछ दस्तावेज सीबीआई को सौंपे। बताया जा रहा है कि एसटीएफ और सीबीआई अधिकारियों के बीच करीब एक घंटे बातचीत चली। शाम को सीबीआई की टीम एसटीएफ के एडीजी सुधीर साही से मिलकर पूरा काम अपने हाथ में ले लेगी।
कौन हैं जांच टीम के मुखिया
आईपीएस अधिकारी आरपी अग्रवाल असम-मेघालय कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मुरैना में आईपीएस नरेंद्र कुमार की मौत की जांच कर चुके हैं। कुमार को 2013 में होली के दिन अवैध खनन कर लौट रहे ट्रैक्टर से रौंद कर मार डाला गया था। अग्रवाल सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की भी जांच कर चुके हैं। अग्रवाल ने अपनी 40 सदस्यीय टीम में भोपाल जोन (भोपाल, जबलपुर, भिलाई और नागपुर) की सभी एंटी करप्शन ब्रांच के अधिकारियों को रखा है। टीम को पांच-छह यूनिट में बांटा जाएगा।
कैसे जांच करेगी टीम
सीबीआई की छह सदस्यीय टीम झाबुआ भी जाएगी। वहां जर्नलिस्ट अक्षय सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। जांच एजेंसी इस सिलसिले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और वकील विवेक तनखा से पूछताछ कर सकती है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने व्यापमं मामले की जांच शुरू की है। अब तक यह जांच राज्य की एसटीएफ कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने नौ जुलाई को व्यापमं की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने सोमवार को भोपाल पहुंचकर जांच शुरू कर दी थी। सीबीआई अब तक जांच कर रही एसटीएफ और जिले स्तर पर गठित पुलिस की एसआईटी के साथ कई दौर की बैठकें कर चुकी है। एसटीएफ और एसआईटी ने सीबीआई को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी सौंपे हैं।
सूत्रों के अनुसार अभी तक जांच कर रही एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले में कुल 55 प्रकरण दर्ज किए गए थे। 21,000 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, वहीं 491 आरोपी अब भी फरार हैं। इस जांच के दौरान 48 लोगों की मौत हो चुकी है। एसटीएफ इस मामले के 12,000 आरोपियों के चालान भी पेश कर चुकी है।
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