इंदौर : इंदौर में स्थित सरकारी अस्पताल-महाराजा यशंवत राव में इन दिनों चूहों के खाने के लिए कुछ खास ही इंतजाम किए जा रहे हैं.
कभी इन चूहों को गुड़, चना, सेव और झींगा दिया जा रहा है तो कभी कचौरी और नुक्ती. ये सब खाने की चीजे जहर के साथ इन्हें परोसी जा रही है ताकि चूहों को इस अस्पताल से खत्म किया जा सके.
ये चूहे इस अस्पताल के लिए सिर दर्द बन गए हैं. कभी ये 900 बेड के अस्पताल में मौजूद कीमती उपकरणों के तार काट देते हैं तो कभी ये मरीजों को भी काट लेते हैं.
इंदौर के कमिश्नर संजय दुबे की देखरेख और आदेश पर ये अभियान शुरु किया गया .
सत्तर हजार चूहे
संजय दुबे ने बीबीसी को बताया, “ये बहुत बड़ी समस्या बन गए हैं. अस्पताल में लगभग 8000 हजार बिल मिले जिससे पता चलता है कि लगभग 70,000 हजार चूहे यहां मौजूद होंगे. एक-एक बिल में कई कई चूहें रहते हैं. इतनी बड़ी तादाद में इनकी मौजूदगी की वजह से इस अभियान को चलाया जा रहा है.”
अब तक लगभग 2500 चूहों को मारा जा चुका है. चार दिन अलग-अलग व्यंजन में जहर के जरिए इनको मारने की कोशिश की जाएगी. इसके बाद इनके बिलों में जहर भरकर उसमें कांच के टुकड़े डाल कर बंद कर दिया जाएगा, ताकि वो अंदर ही मर जाएं.
इस पूरे अभियान का काम एक निजी कंपनी-लक्ष्मी फ़िम्युगेशन एंड पेस्ट कंट्रोल लिमिटेड को दिया गया है.
इंदौर अस्पताल में चूहों का आतंक
अधिकारियों के अनुसार अब तक 2500 मारे जा चुके हैं.
कंपनी के चेयरमेन संजय करमरकर बताते है, “चूहे बहुत चालाक होते हैं. अगर उनके साथी किसी चीज को खाने की वजह से एक दिन मर गए तो दूसरे दिन वो उस चीज को छूएँगे नहीं. यही वजह है कि हर दिन उन्हें अलग अलग खाने की चीजें परोसी जा रही है.”
उनका दावा है कि इस अभियान के बाद ये अस्पताल अगले कुछ सालों तक चूहों और दूसरे कीड़ों से मुक्त रहेगा.
इतनी बड़ी तादाद में चूहों की मौजूदगी की एक वजह अस्पताल में दानदाताओं की गतिविधियों को भी माना जा रहा है.
अस्पताल को दान देने वाले लोग तकरीबन रोज ही सुबह शाम अस्पताल में मौजूद मरीजों के परिवारजनों को खाना खिलाते हैं. इसकी जूठन वहां पर इन चूहों की बढ़ती तादाद को बढ़ाने में मदद करती है.
लेकिन इस अभियान के ख़िलाफ धार्मिक नेता भी सामने आ गए है. जैन संत आचार्य मुक्तिसागरजी और कई हिंदू साधु संत इसे बंद करने की मांग कर रहे है. उनका कहना है कि चूहा हिंदू धर्म में पूज्नीय है और इन्हें इस तरह नहीं मारा जाना चाहिए.
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