
सत्तर हजार चूहे

इस पूरे अभियान का काम एक निजी कंपनी-लक्ष्मी फ़िम्युगेशन एंड पेस्ट कंट्रोल लिमिटेड को दिया गया है.
इंदौर अस्पताल में चूहों का आतंक
अधिकारियों के अनुसार अब तक 2500 मारे जा चुके हैं.
कंपनी के चेयरमेन संजय करमरकर बताते है, “चूहे बहुत चालाक होते हैं. अगर उनके साथी किसी चीज को खाने की वजह से एक दिन मर गए तो दूसरे दिन वो उस चीज को छूएँगे नहीं. यही वजह है कि हर दिन उन्हें अलग अलग खाने की चीजें परोसी जा रही है.”
उनका दावा है कि इस अभियान के बाद ये अस्पताल अगले कुछ सालों तक चूहों और दूसरे कीड़ों से मुक्त रहेगा.
इतनी बड़ी तादाद में चूहों की मौजूदगी की एक वजह अस्पताल में दानदाताओं की गतिविधियों को भी माना जा रहा है.
अस्पताल को दान देने वाले लोग तकरीबन रोज ही सुबह शाम अस्पताल में मौजूद मरीजों के परिवारजनों को खाना खिलाते हैं. इसकी जूठन वहां पर इन चूहों की बढ़ती तादाद को बढ़ाने में मदद करती है.
लेकिन इस अभियान के ख़िलाफ धार्मिक नेता भी सामने आ गए है. जैन संत आचार्य मुक्तिसागरजी और कई हिंदू साधु संत इसे बंद करने की मांग कर रहे है. उनका कहना है कि चूहा हिंदू धर्म में पूज्नीय है और इन्हें इस तरह नहीं मारा जाना चाहिए.
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